हम बात कर रहे हैं राहुल गांधी की, क्या एक राजनेता के रूप में कभी राहुल गांधी को भारत स्वीकारेगा, आज देश में अगर राजनीती की बात होती है तब राहुल गांधी कहाँ खड़े होते हैं, इनकी कोई चर्चा भी होती है, आज कल तो हो रही है, उत्तर प्रदेश के प्रवास के दौरान काफी चर्चा है पर फिर वही चर्चा का केंद्र बिंदु राहुल गांधी ना होकर खटिया हो गया है और हैरत की बात ये देखिये की पूरी की पूरी कांग्रेस लगी है खटिया को मुद्दा बनाने में, अब इसमें इनकी बुद्धिमत्ता कही जाये या कुछ और खैर अपनी अपनी समझ है, खैर खटिया को राष्ट्रीय स्तर पर लाने का श्रेय तो राहुल गांधी को मिलना ही चाहिए।
कभी गाओं में दलान की या खलिहान की शोभा बढ़ाने वाली खाट चर्चा में आई थी जब एक हिंदी चलचित्र में गाना बना था "सरकाई लियो खटिया जाड़ा लगे" और आज फिर वही खटिया चर्चा में है वो भी राष्ट्रीय चर्चा में क्या विडम्बना है, खटिया और खटिया की किस्मत, खैर सुनने में आया की खटिया को राष्ट्रीय गरिमा दिलाने का ये प्रयास प्रशांत किशोर का था, तो फिर चाय पे चर्चा वाला आइडिया किसका था, जो भी हो केंद्र बिंदु तो खटिया को बनना था, चलो अच्छा है।
खेद तो इस बात का है कि देश में किसी नेता को लोग ध्यान से सुनते हैं तो वो मोदी को सुनते हैं, चाहे वो मोदी के समर्थक हों चाहे विरोधी हों चाहे आलोचक हों सब इन्हें ध्यान से सुनते हैं, लेकिन जब बात आती है राहुल गाँधी की तो क्या उनके खुद के नेता क्या उन्हें सुनते हैं, तो जब उनकी स्वीकार्यता उनकी खुद की दल में संदेहास्पद हो तो वो देश में स्वीकार्य हो ये कैसे हो सकता है, संदेह तो इस बात का है कि कहीं राहुल गांधी खटिया ना पकड़ लें, 30 दिन का दौरा है, देखते हैं वो कितना किसानों को समझ पाते हैं और किसान इनको कितना समझ पाते हैं।
इनके ही संगठन के नेता हैं कमलनाथ जो किसी बरसाती मेंढ़क की तरह दीखते हैं जब इनका संगठन शपथग्रहण कर रहा होता है, कुछ इसी प्रकार राहुल गांधी भी करते हैं चुनावी बरसात में निकलेंगे चुनावी मेढ़क की तरह। आरोप लगाना आसान है परंतु विकल्प बनना मुश्किल है। राहुल गांधी को देश कभी विकल्प के रूप में देख नहीं सकती और खुद राहुल गांधी विकल्प बन नहीं सकते, इन्हें तो अपने चरों ओर से किसी ना किसी का सहारा चाहिए तब जा के ये महाशय ठीक से खड़ा हो पाते हैं, इसका कारण है राहुल गांधी में न वो क्षमता है न ही धैर्य, आरोप की राजनीती आपको क्षणिक प्रसिद्धि तो दिला सकती है पर स्थायी नहीं।
खैर खटिया को राष्ट्रीय चर्चा में लाने के लिए धन्यवाद।

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