शनिवार, 4 अप्रैल 2020

सब कुछ नजर आ रहा है, दिन है.. ये रात नहीं

अचंभित क्यों हैं?
ये जो हो रहा है, इनकी यही सच्चाई है।
फिर इस सच्चाई को ढांपने के लिए ये बड़ी-बड़ी रजाइयों और कंबलों को लाके, क्या लोग इसको ढांप लेंगे?
अब न तो वो जमाना रहा ना ही वो दस्तूर, इस बदले हुए जमाने में छुपना या छुपाना कठिन है।
ये लोग जो थूक रहे हैं, नंगे हो रहे हैं, गालियाँ बक रहे हैं या पत्थरबाजी कर रहे हैं, ये वो जाहिल लोग हैं जिन्हें ये पता नहीं कि वो अपने आप के लिए दुश्मन बन रहे हैं।
डॉक्टर कोई मशीन नहीं कोई रोबोट नहीं, वो इंसान है और इनमें सोचने समझने की शक्ति है।
ये कोई पी पी सरकार का जादू नहीं चल रहा है जो दिखता कुछ है और होता कुछ है।
इनकी परेशानी ये है कि अब जो करते हैं वो दिख जाता है, दिन है...अब कोई रात नहीं।
पहले Corona virus बेहद सूक्ष्म होता था, जो दिखाई नहीं पड़ता था । अब स्पष्ट नज़र आने लगा है ।

बुधवार, 29 जनवरी 2020

आधुनिक युग के जयचंद


कुछ इतिहास का बोध और कुछ पिछली अनुभवों के होते हुए भी भारतीय समाज अबोध और अनुभवहीन बना हुआ है या यों कहें कि अबोध होने का नाटक कर रहा है, हम आजादी के बाद के आधुनिक भारत के अतीत में झांकने की कोशिस भी नहीं करते या हिम्मत ही नहीं है। पीछे कश्मीर में क्या हुआ था, तो लोग बस यही बोलेंगे की कुछ नहीं धारा ३७० हटाई गई है, ये बोलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाएंगे कि लाखों लोग को उनके ही देश में उनके ही घरों में घुस कर मारा गया, बलात्कार किया गया और उनको राज्य से बाहर निकाल दिया गया, कौन थे वो लोग- एक था सताने वाला और एक था सताए गए लोग। सताने वाला तब भी संगठित था और अब भी संगठित है, और दूसरी तरफ सताए गए लोग कल भी असंगठित थे और आज भी असंगठित हैं।

फर्क किसी को कुछ भी नहीं पड़ता, क्योंकि इनकी आण्विक संरचना ही ऐसी है शायद या फिर हिंदुओं के अन्तर्मन की तल में पनप रही वो लज्जा भाव की तुमने मुगलों की गुलामी की फिर अंग्रेजों की गुलामी, ये गुलाम शब्द शायद रच-बस गया है इनके खून में।
हिन्दु, सिख, ईसाई की तकदीर का फैसला पाकिस्तान में मुसलमानों के भरोसे और जब वो प्रताड़ित हो भारत में आएं तो भी उनकी भविष्य मुसलमान ही करे। 
लोगों ने अपनी अंतरात्मा जो गिरवी रखी हुई है न, यही हैं आधुनिक भारत के जयचंद और दुःख की बात ये है कि आज ये असंख्य हो गए हैं और ये भारत को शनैःशनैः फिर उसी पाश्र्व की ओर ले जा रहा है जिससे हम ऊब कर बाहर निकलने की कोशिश में अपने ही धरा के दो हिस्से कर दिए थे।